Chhattisgarh | भिलाई-दुर्ग के 20 से ज्यादा ठिकानों पर ACB-EOW की छापेमारी

Chhattisgarh | ACB-EOW raids more than 20 locations in Bhilai-Durg

भिलाई। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और EOW (आर्थिक अपराध शाखा) की संयुक्त टीम ने सोमवार सुबह भिलाई-दुर्ग, धमतरी और महासमुंद में 20 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

कार्रवाई सुबह 4 बजे भिलाई से शुरू हुई, जहां चार गाड़ियों में पहुंची टीमों ने कारोबारी अशोक अग्रवाल, बंसी अग्रवाल, संजय गोयल, विशाल केजरीवाल, विनय अग्रवाल, विश्वजीत गुप्ता और आशीष गुप्ता के घरों और प्रतिष्ठानों में दस्तावेजों की जांच शुरू की।

भिलाई के इन कारोबारियों पर कार्रवाई –

अशोक अग्रवाल – आम्रपाली अपार्टमेंट, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी

एसके केजरीवाल – नेहरू नगर

बंसी अग्रवाल – नेहरू नगर (GI तार फैक्ट्री के मालिक)

संजय गोयल – डायरेक्टर, स्पर्श हॉस्पिटल

विश्वजीत गुप्ता – बिल्डर, दुर्ग

विनय अग्रवाल – खुर्सीपार

आशीष गुप्ता – होटल संचालक, सुपेला

सूत्रों के अनुसार, अशोक अग्रवाल, जो पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाते हैं, को जांच टीम एक वाहन में उनके फैक्ट्री लेकर गई, जहां दस्तावेजों की जांच जारी है। बताया जा रहा है कि अशोक अग्रवाल की कई फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से एक छावनी चौक के पास स्थित है।

बंसी अग्रवाल, जो भिलाई अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भी हैं, उनकी खुर्सीपार स्थित वायर ड्राइंग और GI तार फैक्ट्री में भी छापेमारी हुई। वहीं संजय गोयल के नेहरू नगर स्थित घर पर भी टीम ने दस्तावेज खंगाले।

तीन दिन पहले हुई थी पहली कार्रवाई

तीन दिन पहले ACB-EOW ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के 13 ठिकानों पर रेड की थी। उस दौरान रायपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, अंबिकापुर और जगदलपुर में कार्रवाई कर 19 लाख रुपये नकद, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, कई बैंक खातों और जमीन से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए थे।

क्या है शराब घोटाला?

इस शराब घोटाले की जांच ED (प्रवर्तन निदेशालय) कर रही है, जिसने इसकी रिपोर्ट ACB को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जिसमें अनिल टुटेजा, एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर पर मुख्य आरोप हैं। ED का दावा है कि 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध कमाई इस सिंडिकेट के जरिए की गई।

ED के अनुसार, कवासी लखमा इस सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे, जिन्हें हर महीने 2 करोड़ रुपए बतौर कमीशन मिलते थे। इस पैसे से उनके बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन सुकमा का निर्माण हुआ।

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