Chhattisgarh | फर्जी डॉक्टर के खिलाफ बिलासपुर में नया मामला, मरीज की मौत पर लापरवाही का आरोप

Chhattisgarh | New case against fake doctor in Bilaspur, accused of negligence on patient’s death

बिलासपुर। अपोलो अस्पताल के पूर्व कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. नरेंद्र जॉन केम की नई करतूत सामने आई है। व्यवसायी सुरेश टुटेजा ने अपने पिता की मौत को इलाज में लापरवाही बताते हुए सरकंडा थाने में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यह मामला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल के बेटे द्वारा दर्ज कराई गई FIR के बाद सामने आया है।

शिकायतकर्ता सुरेश टुटेजा का आरोप है कि वर्ष 2006 में उन्होंने अपने पिता भगतराम टुटेजा को पेट दर्द की शिकायत पर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान डॉक्टर नरेंद्र ने कार्डियक समस्या का हवाला देकर इलाज शुरू किया, लेकिन इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई। टुटेजा का दावा है कि डॉक्टर ने गलत इलाज कर उनके पिता की जान ले ली। पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और पूछताछ के लिए जल्द ही दमोह जाने की तैयारी कर रही है।

दमोह में फर्जीवाड़ा उजागर, बिलासपुर में बढ़ी हलचल

दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुद को “डॉ. नरेंद्र जॉन केम” बताकर नौकरी पाई थी। जनवरी-फरवरी 2025 में उसने 15 से अधिक हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के दौरान हुई थी। जांच में उसकी सारी डिग्रियां फर्जी पाई गईं।

इस खुलासे के बाद बिलासपुर में भी हलचल मच गई। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल के बेटे प्रदीप शुक्ल ने अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान हुई पिता की मौत के लिए फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए FIR दर्ज करवाई। सरकंडा पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ IPC की धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत मामला दर्ज किया है।

अपोलो प्रबंधन भी जांच के घेरे में

इस गंभीर मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन को भी लापरवाही का जिम्मेदार माना जा रहा है। आरोप है कि बिना उचित दस्तावेजों की जांच किए, प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर लिया और मरीजों की जान से खिलवाड़ किया। पुलिस अब अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है।

फर्जी डिग्रियों का खुलासा

पुलिस जांच में यह सामने आया कि आरोपी का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जो देहरादून का निवासी है। डॉक्यूमेंट में उसका नाम नरेंद्र जॉन केम दर्ज है। उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है, लेकिन उसके बाद की एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की तीन डिग्रियों में कोई भी वैध रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला। ये डिग्रियाँ कोलकाता, दार्जिलिंग और यूके की बताई गई हैं।

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