रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को जलजीवन मिशन में गड़बड़ी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कई सवाल पूछे। उन्होंने जानना चाहा कि जलजीवन मिशन के अंतर्गत कितनी कंपनियों को इंपेनलमेंट किया गया है, इसका आधार क्या था, और कितने गांवों में पानी पहुंचाया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार की वजह से जनता आज इस योजना की खामियों का खामियाजा भुगत रही है।
इस पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने जवाब दिया कि प्रदेश में 883 संस्थाओं का इंपेनलमेंट किया गया है। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जिसमें 11 अधिकारी शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि जलजीवन मिशन के कार्यों में लगातार निगरानी की जा रही है और गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाही की जा रही है। इलेक्ट्रो क्लोरिनेटर के लिए 2022 में 8 निर्माताओं को नियुक्त किया गया था, लेकिन शिकायतें मिलने पर इसकी जांच कराई गई और कई लोगों को निलंबित भी किया गया।
धरमलाल कौशिक ने आगे सवाल किया कि सूचीबद्ध करने के बाद खरीदी को निरस्त क्यों किया गया और क्या इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पूरी योजना में खरीदी ठेकेदारों द्वारा की जाती है और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाए जाने पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।