बस्तर के नक्सल पीड़ित परिवारों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात, द्रौपदी मुर्मू ने कहा…

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर शांति समिति के बैनर तले माओवादी हिंसा से पीड़ित लोग अपने अधिकारों और शांति की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर “केंजा नक्सली-मनवा माटा” (सुनो नक्सली हमारी बात) आंदोलन करने पहुंचे है। इसी कड़ी में शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के माओवादी हिंसा के पीड़ित परिवारों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।

इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी उद्देश्य के लिए हिंसा का सहारा लेना उचित नहीं है, क्योंकि यह समाज के लिए हमेशा भारी नुकसानदायक साबित होता है। राष्ट्रपति ने वामपंथी उग्रवादियों से अपील की कि वे हिंसा का मार्ग छोड़ें और मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी समस्याएं वे उजागर करना चाहते हैं, उन्हें हल करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी द्वारा अहिंसा के मार्ग पर चलने के सिध्दांत का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र का रास्ता भी यही है। इस हिंसा से त्रस्त दुनिया में हमें शांति और सहिष्णुता के मार्ग पर चलने की कोशिश करनी चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले नक्सल पीड़ितों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उस दौरान शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने बस्तर के 4 जिलों को छोड़कर पूरे देश में नक्सलवाद को खत्म करने में सफल रही है। वहीं देश से नक्सलवाद को अंतिम विदाई देने के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख तय की गई है। गृह मंत्री ने नक्सलवाद को खत्म करने के साथ-साथ नक्सलियों से आत्मसमर्पण कर अपने हथियार को छोड़ने की अपील की थी।

नक्सल पीड़ितों ने जेएनयू में भी बताई अपनी समस्या

इसके बाद बीते शुक्रवार नक्सल पीड़ित वामपंथ के गढ़ जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) पहुंचे थे। कई पीड़ितों के विकलांग होने के बाद भी इनकी बस जेएनयू के बाहर रोक दी गई। ऐसे में वैकल्पिक साधन लेकर जेएनयू पहुंचे और अपनी समस्या से अवगत कराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *