Chhattisgarh

तीन पहाड़ियों के बीच स्थित खुड़िया जलाशय : प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन का अद्भुत केंद्र

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले का राजीव गांधी जलाशय, जिसे खुड़िया जलाशय भी कहा जाता है, पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। तीन प्राकृतिक पहाड़ियों के मध्य मनियारी नदी पर निर्मित यह जलाशय अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है। नववर्ष के अवसर पर हजारों की संख्या में सैलानियों ने यहां पहुंचकर इसकी प्राकृतिक छटा का आनंद लिया।

राजीव गांधी जलाशय की विशेषता इसकी विशालता और चारों ओर फैली हरियाली है। पहाड़ियों से घिरा यह स्थल दूर से किसी समुद्र का आभास कराता है। सैलानियों के लिए नाव की सवारी यहां का मुख्य आकर्षण है, जहां वे पानी के बीचों-बीच प्रकृति की गोद में समय बिता सकते हैं। वर्षा के मौसम में जलाशय और भी खूबसूरत हो जाता है, जब पहाड़ियों से गिरते जलप्रवाह और हरियाली का नजारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

यह जलाशय न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और कृषि महत्व भी है। इसका निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में 1927 में कृषि के उद्देश्य से शुरू हुआ था और 1930 में इसे पूरा किया गया। इसका नाम बाद में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया। यह जलाशय आज भी स्थानीय किसानों के लिए एक मुख्य जल स्रोत है, जिससे वे अपनी कृषि भूमि की सिंचाई करते हैं।

राजीव गांधी जलाशय के आसपास कई और पर्यटन स्थल हैं जो सैलानियों के अनुभव को और खास बना देते हैं। इनमें डोंगरीदेवी मंदिर प्रमुख है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, पहाड़ियों और हरियाली से घिरा वातावरण ट्रेकिंग और पिकनिक के लिए भी आदर्श है। इस वर्ष नए साल के मौके पर हजारों पर्यटक राजीव गांधी जलाशय पहुंचे। जलाशय के साफ और शांत वातावरण, नाव की सवारी, और प्राकृतिक दृश्यों ने सभी को मोहित किया। पर्यटकों ने इस क्षेत्र की स्वच्छता और व्यवस्था की प्रशंसा की।

मुंगेली जिला अब पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है। राजीव गांधी जलाशय जैसे स्थानों की बढ़ती लोकप्रियता स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। जिला प्रशासन द्वारा भी इस क्षेत्र को और अधिक विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। राजीव गांधी जलाशय न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थल है, बल्कि इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को भी समेटे हुए है। यह स्थल छत्तीसगढ़ में पर्यटन की अपार संभावनाओं का प्रतीक है।

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